नीम के गुणकारी प्रयोग

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दोस्तों आज में अपने इस आर्टिकल में आपको नीम के गुणकारी प्रयोग बताउंगी जो हमारे लिए बहुत लाभकारी होते है। दोस्तों कहावत है कि-उपदेश की बातें और नीम की पत्तियां कड़वी होने पर भी गुण में उत्तम होती है। यहां कुछ गुणकारी विवरण प्रस्तुत है। नीम का उपयोग औषधि हेतु कई प्रकार से किया जा सकता है। नीम की दातूनदांत व मसूड़ों को स्वच्छ निरोग और मजबूत रखने में बेजोड़ है। इसकी पत्तियों को प्रयोग करने के कुछ तरीके प्रस्तुत है।

(नीम की सेवन विधियां)

(1) इन दिनों नीम की नई पत्तियां आती है। प्रातः घूमने के लिए जाए तब 20-25 कोंपलें तोड़ लें और साफ करके खूब चबाचबा कर खाएं। जब तक कोंपलें उपलब्ध रहें तब तक वह प्रयोग जारी रखें। यह बहुत ही गुड़करी प्रयोग है। 
(2) नीम की कोमल पत्तियों में इमली व गुड़ मिलाकर चटनी पीस लें और भोजन के साथ खाए। यह भी बहुत लाभकारी प्रयोग है। 
(3) नीम की पत्तियां पीस लें। इसमें जरा सा काला नमक व सेंधा नमक मिलाकर गोल बेल बराबर गोलियां बना लें। प्रतिदिन 2 गोली प्रातः समय सेवन करें। 
(4) नीम की 10 पत्ती और 5 कालीमिर्च मिलाकर पीस लें। यह एक खुराक है। ताजे जल के साथ प्रातः 1 गोली लें। 
(5) नीम की पत्तियों को पीसकर उसका रस निकाल कर एक कप में छान लें और थोड़ा सा शहद मिलाकर पियें।

(नीम की सेवन विधियों से होने वाले लाभ)

किसी भी उपाय से नीम का नियमित सेवन करने से सारे शरीर की शुद्धि हो जाती है। शरीर के दोष व विकार नष्ट हो जाते है। रक्त शुद्ध होता है, त्वचा रोग नष्ट होती है और शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति में भारी वृद्धि होती है। त्वचा का रंग साफ होने से वर्ण में निखार आता है। .दाद खाज एक्जीमा जैसे रोग कोसो दूर रहते है। नेत्रों की चमक व ज्योति बढ़ती है, चेहरा तेजस्वी होता है। पाचन शक्ति ठीक रहने से शरीर के अंगप्रत्यंग शक्तिशाली और फुर्तीले बने रहते है। शरीर में रोग के कीटाणु टिक नहीं पाते। ग्रीष्म ऋतु में इसके सेवन से लू नहीं लगती। गर्मी और प्यास में कमी होती है। तथा ग्रीष्म ऋतु का समय निरोग और स्वस्थ रहकर गुजारा जा सकता हैं।

(नीम के गुणकारी प्रयोग)

(1) नीम के बीज को सिरकें में पीस कर चेहरे पर लगायें और 1 घंटे बाद धोलें। नीम की पत्तियों को साफ करके पानी में उबालें। इस पानी से चेहरा धोया करें। इस प्रयोग से चेहरे पर झाई व मुंहासे नहीं होंगे और होंगे तो मिट जाएंगे। नीम की जड़ पानी में घिस कर लगाने से भी लाभ होता है। 
(2) गंधक, लोबान, कपूर और चन्दन सब समान मात्रा में मिला लें। जितनी मात्रा हो उससे दूनी नीम की पत्ती मिलाकर सुखाकर चूर्ण कर लें। इस चूर्ण की धूनी देने से वातावरण शुद्ध होता है और विषैले व संक्रामक कीटाणुओं का सफाया हो जाता है। 
(3) नीम की पत्तियों का रस मसूड़ों पर रोजाना लगाने से मसूड़ों के विकार, सड़न, कमजोरी और पायरिया रोग की शिकायत समाप्त हो जाती है। 

आपने इस आर्टिकल को देखा इसके लिए आपका धन्यवाद करते है | इसमें दिए गए
नुस्खो को प्रयोग कर परिणाम नीचे कमेंट में सूचित करने की कृपा करें | 😊😊

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