पुष्पों (फूलों) द्वारा होने वाले स्वास्थ्य लाभ
दोस्तों आज में आपको इस आर्टिकल में पुष्पों (फूलों) द्वारा होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में बताउंगी।कोण सा पुष्प किस प्रकति का होता है और उसके गुण क्या है।
स्वास्थ्य संम्बन्धी विषय में उसका किस प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है।आशा है की इस आर्टिकल में बतायी गई जानकारी आप सबको रोचक व उपयोगी प्रतीत होगी।
किसी हरे भरे पुष्प पल्ल्वीत उद्यान में प्रवेश करने पर कौन ऐसा व्यक्ति होगा जिसका मन वहां प्रवाहित मंद -मंद खुशबु से प्रफुलित न हो उठेगा।
परंतु ये कहा जाय की ये मानव हृदय में खुशबु ही प्रफुलित नहीं करते बल्कि अनेक रोगो में भी लाभदायक होते है। अधिकांश व्यक्ति सहज ही विश्वास नहीं करेंगे किन्तु यह कल्पना नहीं वास्तविकता है।
विशव के अनेक देशों में हुए अनुसंधानों के आधार पर यह निष्कर्ष निकला है की इन सुमन-किसलयों की सुगंध में किसी ब्राह्म औषधि की अपेक्षा अनेक रोगों के उपचार की अद्भुत क्षमता विधमान है।
संभवता सुगंध चिकित्सा पद्धति से हमारे प्राचीन ऋषिगण परिचित थे तभी आयुर्वेदिक ग्रंथो में उन्होंने पुष्पों के गुण व उपयोग के विषय में विस्तार से चर्चा की है।
पुष्प-सुगंध का मानव के जीवन पर उनके दीर्घ जीवन के लिए काफी प्रभाव पड़ता है।शवेत चटक रंग वाले बेला तथा चमेली के पुष्प न केवल पूजन में ही प्रयुक्त होते है।
अपितु इसकी वेणी बना कर नारियाँ अपनी केश सज्जा करती है, इसकी माला बनाकर लोग गले में धारण करते है। जल को सुवासित बनाने के लिए इसके 4-6 फूल घड़े में व जलपात्र में डाले जाते है।इसकी सुगंध मनमोहक होती है।
चमेली का पुष्प (फूल) से लाभ
(परिचय)
यह लता जाती की बेल है। इसके फूल छोटे कोमल और पंखुड़ियों वाले होते है। यह सफेद और पीले रंगों में दो प्रकार की होती है। इसकी मस्त सुगन्ध ह्रदय को बहुत प्यारी लगती है अतः संस्कृत में इसे ह्रदय गंधा भी कहते हैं।
(गुण)
यह कड़वी, गरम, कसैली, हल्की दोषों का शमन करने वाली है। मस्तक रोग, नेत्र रोग, मुख रोग, दांत दर्द वात तथा रक्त विकार को नष्ट करती है।
इसके पत्ते चबाने से दाँतो का दर्द मिटता है। दांत व मसूड़े मजबूत और विकार रहित होते हैं। मुह के छाले ठीक होते है। गले की खराश ठीक होती है। इसकी सुगंध सूंघने से सिर का भारीपन और दर्द दूर होता है।
(प्रयोग)
इसके पत्ते और फूलों को चिकित्सा हेतु प्रयोग किया जाता हैं। इसके फूलों का काढ़ा 2 तोला और चूर्ण 1 से 3 ग्राम तक की मात्रा में प्रयोग किया जाता है।
इसका तेल भी बनाया जाता है, जिसमें फूलों के गुण होते है। चमेली का तेल सिर के बालों में लगाने से सिर में तरावट और नेत्र ज्योति में ताकत आती है।
चमेली की जड़ को पानी के साथ पत्थर पर घिसकर गाढ़े लेप को दाद पर लगाने से दाद अच्छी हो जाती है। घाव पर चमेली के पत्ते पीस कर गर्म करके पुल्टिस बाँधने से घाव भर जाता है।
गुलाब का पुष्प (फूल) से लाभ
(परिचय)
गुलाब एक ऐसा पौधा है जो बाग बगीचों बंगलो के अहातों और घर के आंगनों में देखा जा सकता है। संस्कृत में इसे महाकुमारी भी कहते है।
क्योंकि इसके पुष्प में केशर, मकरन्द गर्भाश्य सब होते है पर गर्भाधान नहीं होता क्योंकि फूलों में बीज नहीं होता अतः इसकी डाली से इसकी कलम लगाई जाती है।
इसे शतपत्री इसलिए कहा गया है क्योंकि एक फूल में 100 पंखुड़ियां होती है। यह सफेद, हल्का गुलाबी लाल और काले रंगों में होता है।
इसकी सुगन्ध बहुत आनन्द दायक होती है। कुछ किस्में सुगंधहीन भी होती है। एक पौधे में ढेर सारे फूल लगते है। देशी गुलाब चैत्र वैशाख में फूलता है। चीनी (विदेशी) गुलाब के फूल बारह मास फूलते है।
(गुण)
यह शीतल, ह्रदय को प्रिय, ग्राही, वीर्य वर्द्धक हल्का, वर्ण को उत्तम करने वाला, कड़वा, चरपरा, पाचन करने वाला और रक्त विकार नष्ट करने वाला होता है।
(प्रयोग)
गुलाब के फूलों की पंखुडिया ही प्रयोग की जाती है।ठण्डाई के मिश्रण में इन पंखुड़ियों को मिलाकर उपयोग में लिया जाता है और पंखुड़ियों का गुलकन्द बनाया जाता है।
गुलकन्द तरावट ठन्डक और कब्जनाश करने वाला होता है। इसके फूलों का शर्बत भी बनाया जाता है जो की बहुत पौष्टिक रक्त शोधक और मन को प्रसन्न करने वाला होता है।
पित्त का शमन करने के लिए पित्त प्रकृति के लोगों को गुलाब का शर्बत पीना चाहिए। आँखो के लिए गुलाब जल बहुत गुड़कारी होता है।
सोते समय गुलाबजल की 2-2 बूंदे दोनों आंखो में डालने से आंखो में ठंडक होती है। जिन महिलाओं को पित्तज प्रदर की शिकायत हो उन्हें दूध में मिश्री और गुलाबजल डालकर पीने से बहुत लाभ होगा।
यह सिर्फ दो पुष्पों का परिचय जानकर आप पुष्पों की उपयोगिता समझ चुके होंगे। आपने इस आर्टिकल को देखा इसके लिए आपका धन्यवाद करते है | इसमें दिए गए
नुस्खो को प्रयोग कर परिणाम नीचे कमेंट में सूचित करने की कृपा करें | 😊😊
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