बच्चों को ना कहना सीखिए (परवरिश)
Hello दोस्तों आज मै अपने इस आर्टिकल में आपसे बच्चों को ना कहना सीखिए के बारे में अपनी राय शेयर करुंगी।
मेरा मानना है कि जब बच्चे अभिभावकों के साथ किसी भी बात पर अपनी सहमति या असहमति व्यक्त करते है तो वे खुद को सही ठहराना और समझौता करना सीखते है।
इसलिए जरुरी है कि आप जब भी उन्हे ना कहे तो सकरात्मक और सही ढंग से कहें इसमें में आपकी मदद करना चाहूंगी।
हम सभी अपने बच्चो को लेकर काफी भावुक होते है। हम सभी अपने बच्चो को सम्मानित और सम्पन जीवन देना चाहते है।
परन्तु जब भी हम अपने बच्चों को जिंदगी में अनुशासन सिखाना चाहते है, तो हमें उनको ‘ना’ चाहते हुए भी कई चीजों के लिए ना कहना पड़ता है।
लेकिन अगर हम उनकी हर मांग को पूरा करते हैं या उन्हें किसी भी चीज़ के लिए गलत ढंग से मना करते हैं तो इससे उनका व्यवहार प्रभावित होता हैं।
बच्चे को बार-बार ना कहना भले ही अच्छा ना लगे परन्तु बच्चे के समुचित विकास के लिए यह अति आवशयक है। आजकल के बच्चे बहुत समझदार है।
उनको सीधे ना बोलना ठीक नहीं है परन्तु ज्यादातर लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते की बच्चों को कैसे मना करें और इसी कारण बच्चे ज़िद, गुस्सा, निराशा, लापरवाही, मनमोजीपना जैसी भावनाओं से घिर जाते हैं।
अगर बच्चों को मना करते समय अभिभावक थोड़ी सी सावधानी रखें, तो बड़ी ही आसानी से बच्चों का सही ढंग से विकास किया जा सकता हैं।
बच्चों को सकरात्मक तरीक़े से कैसे बोलें ‘ना’
बच्चों को अगर किसी बात के लिए मना करना है तो उन्हें डांटते हुए कभी भी ‘ना’ न कहें बल्कि उन्हें प्यार से समझाते हुए किसी भी बात के लिए मना करें और बच्चे का विशवास हासिल करें।
अगर हम बच्चों को गुस्से से बोलते है तो वो भी यही गुण सीखते है पैरेंट्स अगर विचलित होकर ‘ना’ बोलते है तो बच्चे को लगता है।
कि वो अच्छा बच्चा नहीं अपनी वॉइस टोन से लेकर अपने हावभाव को शांत रखें, ताकि बच्चे को आपका ‘ना’ कहना, अपना तिरस्कार ना लगें।
धैर्य रखें जब आप बच्चों को बोलें ‘ना’
अक्सर बहुत से पेरेंट्स बच्चों से किसी भी चीज़ के लिए मना करने के बाद उनसे तुरंत ही स्वीकारने या सामान्य व्यवहार की उम्मींद करने लगते है।
कई बार ऐसा होता है की पेरेंट्स को बार बार वह बात बच्चों को दोबारा समझानी पड़ती है, धीरे धीरे बच्चे आपकी बात समझने लगेंगे।
लेकिन आपके कह देने से उनका मन बदल जाएगा ऐसी काल्पनिक उम्मीद न रखें।आपको थोड़ा धैर्यपूर्ण रहना होगा।
बच्चों के साथ मारपीट करने से पूरी तरह बचें
कई बार ऐसा होता हैं, कि पेरेंट्स बहुत जल्द बच्चों पर हाथ उठाने लगते हैं और जिसकी वजह से आगे चलकर बच्चे उनके साथ गलत व्यवहार करने लगते हैं।
इसलिए मारपीट आपका आखिरी हथियार होना चाहिए इसे मामूली बातो पर खर्च ना करें , जब बच्चा बहुत बड़ी गलती कर दें तो कभी एक थप्पड़ मार दें।
लेकिन बच्चों पर हर बात पर हाथ उठाना बहुत ही गलत होता है। 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चें तो हर बात को दिल से लगा लेते है, उनमे यह समझ विकसित नहीं हुई होती है।
कि उन्हे किस बात को किस तरह से लेना चाहिए। जब उनकी पिटाई होती है , तो उन्हे लगता है कि माँ उन्हे प्यार नहीं करती।
इससे बच्चे निराशा और अकेलेपन का शिकार होते है। जो बच्चें अक्सर मार खाते हैं,वे बच्चें स्कूल में जाकर अपने सहपाठियों के साथ मारपीट करते हैं। क्योंकि उन्हे मारपीट करना बहुत सामान्य लगने लगता हैं।
बच्चों का ध्यान भटकाएं
कई बार किसी चीज़ के लिए मना करने पर बच्चे ज़िद पकड़ लेते हैं, ऐसे में पेरेंट्स को पूरी सतर्कता बरतते हुए बिना बच्चों को डाटे उनका ध्यान किसी और चीज़ की ओर ले जाएं।
आपको उनका ध्यान वहां से हटाकर दूसरी किसी रोचक बात की तरफमदना चाहिए, यह बच्चों को मना करने का सबसे अच्छा तरीका हैं।
वे अपनी ज़िद को जल्द ही भूल भी जाते है और उन्हे आप पर गुस्सा भी नहीं आता हैं।
घर में एक दूसरे की बात न काटें
घर में एक दूसरे की बात कम ही काटें और ऊंची आवाज़ में कतई बात न करें।क्योंकि बच्चा सबसे ज्यादा अपने परिवार से सीखता हैं।
अगर घर पर किसी सदस्य ने बच्चों को टीवी देखने से मना किया हो, तो किसी दूसरे सदस्य को उन्हें टीवी देखने देने की सिफारिश नहीं करनी चाहिए।
किसी बात के लिए आज ‘ना’ कहकर कल ‘हां’ न करें। ऐसा करने से बच्चों के मन में बातों के प्रति गंभीरता नहीं रहती।
जब हम एकजुट होकर बच्चों को कोई बात मना करते हैं तो उन्हें समझ में आता है कि यह बात ठीक नहीं है, इसलिए वह अपनी ज़िद छोड़ देते हैं।
लेकिन अगर दूसरा सदस्य पहले की बात के विपरीत कहे तो बच्चे समझ नहीं पाते कि कौन सही है, वे जो कर रहे हैं, वहीं ठीक हैं।
पेरेंट्स खुद को भी रखें अनुशासित
बच्चों को शुरुआत से ही अनुशासन का पालन करना सिखाए। पेरेंट्स बच्चों को प्यार से उन्हे समझाएं, कि जल्द सोना सेहत के लिए अच्छा होता है।
ज्यादा चॉकलेट खाने से दांत सड़ जाएंगे। हर बात, जो ठीक नहीं है, के लिए बच्चे को समझाते हुए प्यार से ‘ना’ कहें। इस बात का ध्यान रखें।
कि जिस बात के लिए आप बच्चे को मना कर रहे हैं, वह अपने पर भी पूरी तरह से लागू करें। बच्चे को जल्द सोने को कहकर आप देर रात तक टीवी देखेंगे तो उसपर बुरा असर होगा।
आपको भी एक अनुशासित जीवनशैली का पालन करना होगा, क्योंकि आप ही उसके रोल मॉडल हैं।
आपने इस आर्टिकल को पढ़ा इसके लिए आपका धन्यवाद करते है | कृपया अपनी राये नीचे कमेंट सेक्शन में सूचित करने की कृपा करें | 😊😊