हाइपर एसिडिटी (अम्लपित्त)
दोस्तों आज कल गलत आहार विहार और स्वाद के कारण हाइपर एसिडिटी (अम्लपित्त)की शिकायत अधिकांश स्त्री पुरुषों में होती जा रही है। नाना प्रकार के चटपटे, तीखे, मिर्च मसाले वाले खट्टे और तले हुए पदार्थो का अधिक सेवन और समय असमय भोजन करने से पाचन प्रक्रिया बिगड़ती है, त्रिदोष कुपित होते है और उदर व्याधियां पैदा होती है। हाइपर एसिडिटी (अम्लपित्त) इन व्याधियों में प्रमुख है इस विषय में लापरवाही करने से अन्य व्याधियां भी उठ खड़ी होती है, अतः जितनी जल्दी इस व्याधि से मुक्ति प्राप्त कर ली जाए उतना ही अच्छा है।तो आज में अपने इस आर्टिकल में आपको हाइपर एसिडिटी (अम्लपित्त) होने के कारण, लक्षण व घरेलू उपाय बताउंगी।
हाइपर एसिडिटी (अम्लपित्त) के कारण
हाइपर एसिडिटी (अम्लपित्त) होने के प्रमुख कारण इस प्रकार है। पहले किए हुए भोजन के भलीभांति पच जाने से पहले ही भोजन कर लेना, कम मात्रा में भोजन करना या बिलकुल ही भूखे रहना, अधिक मात्रा में और बार बार खाना, भूख के समय भोजन न करना और भूख समाप्त हो जाने पर भोजन करना, बासा और दूषित आहार लेना, अधिक खटाई और मिर्च मसले युक्त खारे, तले पदार्थो का अति सेवन करना, भोजन करके तुरंत सोना, दिन में सोना, वेगों को रोकना और कर्म का अति योग, अयोग व मिथ्या योग करते रहना। उपयुक्त कारणों से जठरागिन दूषित हो जाती है। जठरागिन दूषित होने पर अजीर्ण होता है और अजीर्ण के कारण अपचित आहार नाना प्रकार के दोष उत्तपन्न करता है। इससे अन्न विष की तरह (फ़ूड-पाइजन)होकर जलन, प्यास, अम्लता, अल्सर आदि रोग पैदा करता है।
हाइपर एसिडिटी (अम्लपित्त) के लक्षण
अम्लपित्त होने पर कई लक्षण प्रकट होते है। जैसे भोजन का उचित ढंग से पाचन न होना। बिना परिश्रम किये थकावट होना।जी मिचलाना। कड़वी और खट्टी डकारें आना। शरीर में भारीपन रहना। ह्रदय और कण्ठ में जलन होना। खाने में रूचि न रहना। भूख न लगना। ये सारे लक्षण हाइपर एसिडिटी (अम्लपित्त) होने पर होते हे।
हाइपर एसिडिटी (अम्लपित्त) के घरेलू उपाय
(1) प्रतिदिन आंवले का चूर्ण 10 ग्राम मात्रा में भोजन के साथ लेना चाहिए और जब ताज़े आंवले उपलब्ध रहते है तब आंवले का रस 10 ग्राम मात्रा में भोजन के साथ सेवन करना चाहिए।
(2) गुलकन्द 10 ग्राम मात्रा में सुबह शाम और दोपहर को जल के साथ लेना चाहिए।
(3) चुना पानी में गलाकर रख दें। 2-3 दिन बाद ऊपर से पानी नितार कर शीशी में भरकर रख लें इस पानी को भोजन के बाद प्रतिदिन एक बार 10 ग्राम मात्रा में पीना चाहिए
(4) 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण 5 ग्राम देसी घी में मिलाकर 15 ग्राम शहद के साथ प्रतिदिन चाटना चाहिए /
(5) रात को सोने से पहले एक गिलास मीठे दूध के साथ 10 ग्राम देसी घी मिलाकर पीना चाहिए।
इस रोग से छुटकारा पाने के लिए आहार विहार पर नियंत्रण करना बहुत आवश्यक होता है। अपने आहार में घी, मक्खन, चिकने पदार्थ,खिचड़ी, मीठा दलिया, दूध चावल की खीर, छिलके वाली मूंग की दाल, चोकर वाले गेहूँ के आटे की ताजी चपाती (रोटी) हरी साग सब्ज़ी, मीठा अनार, अंगूर और मौसम्बी का सेवन करना चाहिए। भोजन की मात्रा सन्तुलित रख कर उचित समय पर भोजन करना चाहिए।
जिन कारणों की ऊपर शुरू में चर्चा की गई है उनको सर्वथा त्याग देना चाहिए। तुअर की दाल, तले पदार्थ, लाल मिर्च, खटाई, बेसन, अरबी, खट्टे पदार्थ अचार चटनी आदि चाय, तम्बाकू, मांस, अण्डे, मदिरा, नमकीन खारे पदार्थ, दिन का सोना, भोजन के तुरन्त बाद सोना और भोजन के साथ ज्यादा जल पीना आदि त्याग देना चाहिए। इतना उपाय और इन बातों का नियमित रूप से पालन करने पर एक माह के अन्दर अन्दर लाभ होने लगेगा। जब तक पूर्ण निरोग न हो जाए तब तक बदपरहेजी बिल्कुल न करें।
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