दोस्तों जीवन में परिश्रम और अच्छी आदतें ही सफलता की कुंजी है।दोस्तों आज के समय हर व्यक्ति उन्नत्ति करना चाहता है। ये कोई बुरी बात नहीं है। सफलता सब को प्रिय होती है।जब व्यक्ति परिश्रम करता है तब उसे सफलता मिलती है.एवं वो अपने जीवन में आगे बढ़ता है।जो लोग आलसी होते है वे सदैव अपना आज का काम कल पर छोड़ देते है और कल कभी नहीं आता।ऐसे लोग सपने तो देखते है पर सपनों को सच करने के लिए प्रयास कभी नहीं करते। ऐसे लोग अपनी सफलता या असफलता को केवल भाग्य से जोड़ देते है।
परिश्रम सफलता की कुंजी है।
सफलता प्रतेक व्यक्ति को अच्छी लगती है।परन्तु सफलता केवल उन लोगों को मिलती है जो उसे पाने के लिए मेहनत करते है एवं भाग्य का सहारा नहीं लेते है।चींटी देखने में इतनी छोटी होती है पर मेहनत करने में कभी पीछे नहीं रहती है।
चिड़िया मेहनत करके सुन्दर सा घोंसला अपने लिए बनाती है।तब क्या हम लोग मेहनत करके आगे क्यों नहीं बढ़ सकते।हमें हमारी टीचर स्कूल में अच्छे से पढ़ाती है एवं सब बच्चों को एक सा पढ़ाती है पर सारे बच्चे पढ़ाई में अच्छे नहीं होते क्योंकि जो मेहनत करेगा वो बच्चा पढ़ने में अच्छा होगा।
इसलिए हम सभी को अपना सारा कार्य खूब परिश्रम से करना चाहिए एवं आलस्य को छोड़ना चाहिए ताकि हम अपने सपनों को पूरा कर सके और जीवन में आगे बढ़ सकें।ईश्वर भी उसी की मदद करता है जो स्वयं अपनी मदद करता है।
अच्छी आदतें सफलता की कुंजी है।
मानव जीवन में अच्छी आदतों का बड़ा महत्व है।कोई व्यक्ति जो की अच्छी आदतों को अपने व्यवहार में नहीं ला पाता है वह जीवन में स्थायी सफलता नहीं पाता है।पुराने समय से आज तक संसार में कई ऐसे व्यक्तियों के नाम आगे आये जिन्होंने अपने अच्छे व्यवहार से लोगों का दिल जीत लिया और देश व संसार में प्रसिद्ध हुए।उन व्यक्तियों का नाम आज भी लोग प्रेम से याद करते है।जैसे संत कबीर, गोस्वामी तुलसीदास, मैरी वार्ड, मदर टेरेसा, सरोजनी नायडू, आचार्य विनोबा भावे, फ्लोरेंस नाइटिंगेल आदि।
अच्छी आदतों के बिना मनुष्य एक पशु के समान समझा जाता है।जिस प्रकार पशु अच्छे और बुरे कार्य समझें बिना एक दिशा में भागते है।उसी प्रकार अच्छी आदतों से विहीन मनुष्य अपने मन की करता है और लोगों के बीच मज़ाक का केंद्र बनता है।
एक बार मदर टेरेसा, जो की अपने सेवाभाव के लिए प्रसिद्ध थी, से पूछा गया की बीमार व्यक्तियों की सेवा करने में उन्हें किसी तरह की घृणा का एहसास क्यों नहीं होता है? और उनका जवाब था की ऐसे व्यक्तियों की सेवा करने से उन्हें ये लगता है कि वह ईश्वर की सेवा कर रही है।
संत कबीर, जो की अपनी दयालुता एवं सादगी के लिए प्रसिद्ध है, ने एक जरूरतमन्द व्यक्ति को अपने हाथ के बुने हुए सूत की पूरी गठरी दे दी थी।मैरी वार्ड ने जीवन के तमाम सुख एवं साधनों को छोड़कर नारी जाती को ऊपर उठाने के लिए एक ‘नन’ बनना स्वीकार कर लिया।
आचार्य विनोबा भावे ने जरूरतमन्दो को भूमि दान करके बेरोजगारी दूर करने की कोशिश की।सरोजनी नायडू ने अपनी सुंदर कविताओं एवं मधुर गायन से भारतीय जनता में देश प्रेम की भावना जगायी।फ्लोरेंस नाईटिंगेल ने घायलों एवं बीमारों के संघर्ष को अपने सेवा भाव से आसान बनाने की कोशिश की।
इस प्रकार अपनी अच्छी आदत एवं अच्छे व्यवहार से व्यक्ति जीवन की ऊँचाइयों पर पहुंच कर लोगों के मन में एक विशेष जगह बना लेता है और लोग हमेशा उसकी सहायता करने को तैयार रहते है।
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